NOT KNOWN DETAILS ABOUT BEST HINDI STORY

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चेतना लौटने लगी। साँस में गंधक की तरह तेज़ बदबूदार और दम घुटाने वाली हवा भरी हुई थी। कोबायाशी ने महसूस किया कि बम के उस प्राण-घातक धड़ाके की गूँज अभी-भी उसके दिल में धँस रही है। भय अभी-भी उस पर छाया हुआ है। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है। उसे साँस अमृतलाल नागर

(एक) काशी जी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करके एक मनुष्य बड़ी व्यग्रता के साथ गोदौलिया की तरफ़ आ रहा था। एक हाथ में मैली-सी तौलिया से लपेटी हुई भीगी धोती और दूसरे में सुरती की गोलियों की कई डिबियाँ और सुँघनी की एक पुड़िया थी। उस समय दिन के ग्यारह बजे बंग महिला

Picture: Courtesy Amazon This is the critically acclaimed satirical Hindi novel published by Shrilal Shukla and released in 1968. This Hindi fiction reserve provides a scathing critique of your socio-political landscape of rural India. Established while in the fictional city of Shivpalganj, the narrative unfolds with the eyes of your protagonist, Ranganath, a young person who returns to his ancestral village to Get better from an health issues.

राजा का दर्द – The Royal Toothache – Colouring and hygiene Hindi – The king of the jungle is using a incredibly agonizing toothache, he asks another animals for support but These are all afraid of him. Hopeless, he lies in discomfort until eventually he satisfied a tiny mouse. That Though how tiny he …

लड़के पर जवानी आती देख जब्बार के बाप ने पड़ोस के गाँव में एक लड़की तजवीज़ कर ली। लेकिन जब्बार ने हस्बा की लड़की शब्बू को जो पानी भर कर लौटते देखा, तो उसकी सुध-बुध जाती रही। जैसे कथा कहानी में कहा जाता है कि शाहज़ादा नदी में बहता हुआ सोने का एक बाल यशपाल

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

आर्थिक विषमता को किसी अमानुषिक वास्तविकता की त्रासदी में बदलते देखना आज की वंचना और अमीरी की खाइयों में बाँटने वाली राजनीति और समाज व्यवस्था पर यह कहानी एक कालजयी तमाचे की तरह है.

अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।

बहुत समय पहले की बात है जब देवी देवता इंसान मिलने धरती पर आते थे। एक गाँव में शायरा नाम की बच्ची अपनी माँ के साथ रहती थी। वह दोनों दूसरों के कपडे धो कर पैसे कमाते थे। शायरा सोच रही थी की इस बार दिवाली पर वह अपनी माँ को क्या उपहार देगी। तभी एक कौवा वहां उड़ता हुआ आया और अपनी चोंच से एक मोतियों का हार गिरा गया। शायरा खुश हो गयी की इस बार वह अपनी माँ को दिवाली पर website हार देगी।

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

is not merely a historic account but serves as a strong commentary within the complexities of identity, belonging, and the results of political selections within the lives of prevalent people today.

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